कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है। दरअसल उनके लिए नए नियम और निर्देश तय किए गए हैं। लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के वेतन से कटौती की जाएगी। वही कटौती उपभोक्ताओं को मुआवजे के तौर पर उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए दिशानिर्देश जारी किए गए।
Employees Salary Deducted : कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है। राज्य शासन द्वारा नई तैयारी की गई है। इसके तहत लापरवाही पर खामियाजा अब कर्मचारियों को ही भुगतना होगा। गलतियों का खामियाजा भुगतने को लेकर कर्मचारियों को सीधे भुगतान करने होंगे। लापरवाही पर कर्मचारियों के वेतन से कटौती की जाएगी।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नीति जारी की गई। इसके तहत बिजली कंपनी मुआवजा राशि की कटौती सीधे उन कर्मचारियों के वेतन से करेगी, जिसकी गलती से मुआवजा देने की नौबत आई है। यह जानकारी पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज ने दी है। उनके मुताबिक इसकी समीक्षा सभी बिजली कंपनियों के निदेशक कमर्शियल द्वारा की जाएगी।
पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन का कहना है कि कानून के तहत उपभोक्ताओं की समस्या का समाधान के समय पर नहीं हो पा रहा है। इसके साथ ही बनने वाली मुआवजे की कटौती सम्बन्धित कर्मचारियों के वेतन से कर ली जाएगी। काटी गई राशि मुआवजे के रूप में उपभोक्ता के बिल में समायोजित की जाएगी।
इन कर्मियों से होगी वेतन की कटौती
कनेक्शन देने, मीटर की शिकायत दूर करने, बिजली बिल रिवीजन किए जाने, ट्रांसफार्मर खराब होने पर उसे बदलने,ठीक करने आदि कामों के लिए नीचे से ऊपर तक जिम्मेदारी तय होती है। मुआवजे का दावा होने पर यह देखा जाता है कि गलती या लापरवाही किस स्तर पर हुई है। जिस स्तर पर यह लापरवाही हुई होगी, उस स्तर पर कर्मचारियों के वेतन से कटौती की जाएगी।
यह होंगे नियम
- विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाए गए उपभोक्ता को मुआवजा कानून अब राज्य में प्रभावी हो गया है। 1912 पर शिकायत तो फिर मुआवजे का दावा का मुआवजा ले सकेंगे। वहीं किस काम के लिए आयोग ने किया समय सीमा तय की है। उस समय सीमा पर काम पूरा नहीं होने पर उपभोक्ता मुआवजे का दावा कर सकेंगे।
- इधर उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन चेयरमैन एम देवराज ने कहा कि सभी बिजली कंपनी को निर्देशित किया गया है कि कानून का प्रचार प्रसार करें और उपभोक्ता भी अपने अधिकारों को जाने। मुआवजे की राशि संबंधित दोषी कर्मचारियों के वेतन से कटौती कर उपभोक्ता को दी जाएगी।
- इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर ने कहा है कि 75000 स्वीकृत पदों के मुकाबले महज 37000 नियमित कर्मचारी बिजली कंपनियों में कार्यरत हैं। ऐसे में एक बार फिर से कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाने की मांग कर दी गई है। नए पदों का सृजन करने की भी मांग की जा रही है।
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