EPFO Higher Pension Deadline: ईपीएफआ की ज्यादा पेंशन वाली योजना (Pension Scheme) पिछले कई महीने से लगातार सुर्खियों में है. पिछले साल नवंबर में ज्यादा पेंशन की सुविधा को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला आने के बाद लगातार इसकी चर्चा हो रही है.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ (EPFO) ने कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत ज्यादा पेंशन पाने का विकल्प चुनने की डेडलाइन कई बार बढ़ाई है, और अब यह बेहद नजदीक है. अब जाकर ईपीएफओ ने यह बताया है कि आखिरकार ज्यादा पेंशन का कैलकुलेशन कैसे होगा. आइए उसे समझने का प्रयास करते हैं…
श्रम मंत्रालय ने बताई थी ये बात
इससे पहले पिछले महीने श्रम मंत्रालय ने भी ज्यादा पेंशन के कैलकुलेशन को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया था. श्रम मंत्रालय ने कहा था कि ज्यादा पेंशन की गणना करने के लिए पीएफ में नियोक्ता के कुल 12 फीसदी योगदान में से 1.16 फीसदी अतिरिक्त योगदान का इस्तेमाल किया जाएगा, जो सुप्रीम कोर्ट के 4 नवंबर 2022 के फैसले के अनुरूप होगा. श्रम मंत्रालय ने इसके साथ ही यह भी बताया था कि कर्मचारी पेंशन योजना के सब्सक्राइबर्स के ऊपर से बोझ को कम करने वाला यह कदम रेट्रोस्पेक्टिव होगा, यानी यह फैसला आने के दिन से नहीं बल्कि और पीछे से लागू होगा.
ऐसे होगा पेंशन का कैलकुलेशन
अब ईपीएफओ ने इस बारे में विस्तार से बताया है. ईपीएफओ ने कहा है कि 1 सितंबर 2014 से पहले रिटायर होने वालों के लिए पेंशन की गणना रिटायरमेंट अथवा पेंशन फंड से एक्जिट की तारीख से 12 महीने पहले तक की औसत मंथली सैलरी के आधार पर की जाएगी. वहीं जो लोग इस तारीख के बाद रिटायर होंगे, उनके लिए रिटायरमेंट से पहले के 60 महीने की औसत मंथली सैलरी के आधार पर कैलकुलेशन होगा.
बस इतने दिन का बाकी है समय
ज्यादा पेंशन के विकल्प की डेडलाइन 03 मई को समाप्त हो रही थी. ईपीएफओ ने इसे 26 जून 2023 तक बढ़ा दिया था. इसकी डेडलाइन दूसरी बार बढ़ाई गई थी. सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में 4 नवंबर 2022 को दिए एक आदेश में 3 मार्च तक की समयसीमा तय की थी. ईपीएफओ ने उसके बाद ज्यादा पेंशन पाने का विकल्प चुनने के लिए समयसीमा को 3 मई तक के लिए बढ़ा दी थी. अब इसकी डेडलाइन 26 जून को समाप्त हो रही है.
यहां से पेंशन फंड में जाएगा पैसा
मंत्रालय ने बताया था कि कर्मचारी भविष्य निधि एवं अन्य प्रावधान अधिनियम के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा संहिता में यह बताया गया है कि पेंशन फंड के लिए कर्मचारियों से योगदान नहीं लिया जा सकता है. इसे ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि पेंशन फंड के लिए नियोक्ताओं के उस 12 फीसदी योगदान से ही अतिरिक्त 1.16 फीसदी हिस्सा लिया जाएगा, जो प्रोविडेंट फंड में जा रहा है.
इन हैंड सैलरी पर नहीं होगा असर
आपको बता दें कि ईपीएस में कर्मचारी अपनी ओर से कोई योगदान नहीं देता है. कंपनी की ओर से जो कुल 12 फीसदी का योगदान दिया जाता है, उसमें से ही 8.33 फीसदी हिस्सा ईपीएस में जाता है. कंपनी के अंशदान में इससे ज्यादा जो भी रकम होती है, वह ईपीएफ में चली जाती है. श्रम मंत्रालय ने साफ किया है कि ईपीएस में बढ़ा योगदान भी कंपनी के हिस्से से जाएगा, जिसका मतलब हुआ कि अधिक पेंशन का विकल्प चुनने पर भी टेक होम सैलरी या इन हैंड सैलरी पर कोई असर नहीं होगा.
इस मामले में हो जाएगा नुकसान
हालांकि इसका नुकसान भी है. अगर आप ज्यादा पेंशन वाला विकल्प चुनते हैं तो कंपनी की ओर से पीएफ में जमा होने वाली रकम कम होगी, जिसका असर आपके पीएफ फंड पर पड़ेगा. पीएफ में कर्मचारियों को चक्रवृद्धि ब्याज का फायदा मिलता है. अब चूंकि पीएफ का हिस्सा ईपीएस में जाएगा तो चक्रवृद्धि का फायदा भी कम हो जाएगा. इसी तरह नौकरी से रिटायर होने या पहले ही छोड़ देने पर पीएफ से जो एकमुश्त रकम मिलती है, ज्यादा पेंशन का विकल्प चुनने पर इस रकम पर भी असर होगा.