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Jharkhand Breaking News! गृह मंत्रालय का आदेश, इन लोगों ने 3 महीने में नहीं दिया आवेदन तो नौकरी नहीं, यहां जानें पूरी डिटेल

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Jharkhand Breaking News! गृह मंत्रालय का आदेश, इन लोगों ने 3 महीने में नहीं दिया आवेदन तो नौकरी नहीं, यहां जानें पूरी डिटेल

Jharkhand News: राज्य में 24 ऐसे आश्रितों ने नौकरी के लिए आवेदन दे रखा है, जो घटना के समय नाबालिग थे. पीड़ित परिवार ने उनके बालिग होने के लिए आठ से दस साल तक इंतजार किया.

झारखंड में नक्सली (Naxalite) और उग्रवादी हिंसा (Militant) में मारे गए राज्य के आम लोगों के आश्रितों को अब सरकारी नौकरी के लिए तय समय-सीमा के भीतर आवेदन देना होगा. विशेष परिस्थिति को छोड़कर तीन साल के भीतर आवेदन न देने पर उन्हें नौकरी नहीं मिलेगी.

नौकरी मिलने में देरी को देखते हुए गृह विभाग ने यह प्रस्ताव तैयार किया है. अब इसे कैबिनेट में भेजा जाएगा. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद नई व्यवस्था लागू हो जाएगी.

दरअसल, अभी तक इसके लिए कोई समय-सीमा तय नहीं है. ऐसे में मृतक के आश्रित आठ-दस साल बाद भी आवेदन देते हैं. चूंकि नौकरी इस शर्त पर दी जाती है कि वह आश्रित परिवार का भरण-पोषण करेगा, क्योंकि उस समय परिवार को आर्थिक सहयोग की सख्त जरूरत होती है.

वहीं लंबे समय बाद नौकरी मिलने से इस उद्देश्य की पूर्ति नहीं होती है. इसीलिए विभाग ने शर्तों में बदलाव का फैसला लिया है, ताकि पीड़ित परिवार को आर्थिक बदहाली से बचाया जा सके.

थाना प्रभारी और अंचल अधिकारी को मिलेगी जवाबदेही

पीड़ित परिवार के आश्रित को समय पर नौकरी मिले, इसके लिए संबंधित थाना प्रभारी और अंचल अधिकारी को संयुक्त रूप से जिम्मेदारी देने का प्रस्ताव है. इन्हें पीड़ित परिवार से तय समय-सीमा के भीतर नौकरी के लिए आवेदन लेना होगा. नौकरी के इच्छुक न रहने पर अनिच्छा संबंधी आवेदन भी लेना होगा. इसके बाद ये एफआईआर, पुलिस की जांच रिपोर्ट और अन्य जरूरी दस्तावेजों के साथ अपनी अनुशंसा एसपी के माध्यम से संबंधित डीसी को देंगे.

1- घटना के समय अगर मृतक के बच्चे नाबालिग हैं तो पीड़ित परिवार उसके बालिग होने का इंतजार करते हैं. क्योंकि ज्यादातर लोग अपने बच्चों को ही नौकरी देना चाहते हैं. हालांकि, नियम के मुताबिक आश्रित की श्रेणी में बच्चों के अलावा पत्नी, भाई आदि कई लोग आते हैं. इससे वे आवेदन देने में देरी करते हैं.

2- राज्य में 24 ऐसे आश्रितों ने नौकरी के लिए आवेदन दे रखा है, जो घटना के समय नाबालिग थे. पीड़ित परिवार ने उनके बालिग होने के लिए आठ से दस साल तक इंतजार किया. बालिग होने के बाद उन्होंने नौकरी के लिए आवेदन दिया है. जबकि परिवार को सबसे ज्यादा जरूरत तब थी, जब घटना हुई थी.

3- उग्रवादी हिंसा में मारे गए लोगों के आश्रितों को नौकरी मिलने में हो रही देरी को देखते हुए इसकी समीक्षा की जा रही है. विभाग का प्रयास है कि इसमें विलंब न हो. इसलिए समीक्षा कर इसका समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है.

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