रिम्स के पेइंग वार्ड में करीब 100 कमरे हैं, लेकिन सिर्फ प्रथम तल्ला के कुछ कमरों का ही उपयोग किया जाता है. कुछ कमरों में अभी तक वीआइपी (VIP) कैदी ही भर्ती होकर इलाज कराते हैं
निजी अस्पताल की तरह रिम्स में भी पैकेज सिस्टम के तहत मरीजों का इलाज किया जायेगा. क्रिटिकल, सामान्य और सर्जरी कराने के लिए अलग-अलग पैकेज बनाये जायेंगे, जिसके तहत मरीजों का इलाज होगा.
निजी अस्पताल की तरह सुविधा देने के लिए पेइंग वार्ड का उपयोग किया जायेगा, जिसमें सारी सुविधाएं दी जायेंगी. इलाज का पैकेज न्यूनतम और आयुष्मान भारत के पैकेज की तरह ही होगा. डॉक्टर इस व्यवस्था में रुचि लें, इसके लिए उनको प्रोत्साहन राशि मिलेगी. स्वास्थ्य कर्मियों को भी प्रोत्साहन राशि का कुछ अंश निर्धारित किया जायेगा.
पेइंग वार्ड के कमरों का नहीं हो पा रहा उपयोग:
रिम्स के पेइंग वार्ड में करीब 100 कमरे हैं, लेकिन सिर्फ प्रथम तल्ला के कुछ कमरों का ही उपयोग किया जाता है. कुछ कमरों में अभी तक वीआइपी कैदी ही भर्ती होकर इलाज कराते हैं और शेष कमरों का उपयोग नहीं हो पाता है. इससे रिम्स को आमदनी भी नहीं हो पाती है और उसके रखरखाव में अनावश्यक रूप से पैसे भी खर्च होते हैं.
गौरतलब है कि करीब चार साल पहले रिम्स पेइंग वार्ड का निर्माण किया गया था. इसकी परिकल्पना निजी अस्पताल की तरह ही सुविधा देने की थी. एक कमरा का किराया प्रतिदिन 1,000 रुपये निर्धारित किया गया है. हालांकि, परिजन के रहने के अलावा टीवी व फ्रीज की व्यवस्था भी किराया में शामिल है.
निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने का प्रयास :
डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने के उद्देश्य से रिम्स द्वारा प्रोत्साहन राशि देने की पहल की जा रही है. प्रबंधन की सोच है कि प्रोत्साहन राशि देने से डॉक्टर रिम्स में ज्यादा से ज्यादा समय देंगे. जो डॉक्टर पैसे के लिए निजी प्रैक्टिस करते हैं, उनको रिम्स से ही अच्छा खासा पैसा मिल जायेगा.
रिम्स के पेइंग वार्ड का उपयोग करने के लिए पैकेज सिस्टम में इलाज किया जायेगा. शीघ्र ही पैकेज का निर्धारण कर लिया जायेगा. आयुष्मान भारत योजना के फंड से डॉक्टरों को प्रोत्साहन राशि का भुगतान होगा.